नील नदी से जुड़े कुछ अनोखे अनसुलझे रहस्यों से भरे रोचक तथ्य हिन्दी में - azhindifacts :
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नील नदी दुनिया की सबसे लंबी नदी है जिसकी लंबाई 6,853 किलोमीटर है। यह नदी अफ्रीका महाद्वीप में बहती है और इतिहास में बड़े – बड़े नगर इसके आसपास बसे हुए थे।
नील नदी विकटोरिया झील से शुरू होकर अफ्रीका के पूर्वी भाग से गुजरती हुई भू – मध्य सागर में गिर पड़ती है। यह लगभग 11 देशों से गुज़रती है जिसमें मिस्र, सुडान, इथोपिया और बुरूंडी शामिल हैं। स्फेद नील और नीली नील इसकी मुख्य सहायक नदिया हैं।
मिस्र की सभ्यता में नील नदी का योगदान
मिस्र की सभ्यता संसार की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक है जो नील नदी के किनारे बड़ी – फूली। मिस्र की भाषा में नील को ‘इतेरु’ कहते हैं, जिसका अर्थ है- ‘महान नदी’।
इस नदी ने मिस्र के समाज और जीवन को काफी प्रभावित किया है। यह नदी प्राचीन मिस्र के लोगों को भोजन, परिवहन, घर बनाने के लिए समान और अन्य कई चीज़ें उपलब्ध करवाती थी।
प्राचीन मिस्र दो भागों में बंटा हुआ था – ऊपरी मिस्र और निचला मिस्र। हैरानी की बात यह है कि दक्षिण के भाग को ऊपरी मिस्र और उत्तर के भाग को निचला मिस्र कहा जाता था क्योंकि नदी देश के दक्षिण से शुरू होकर उत्तर में खत्म होती थी। यह आप नीचे दिए चित्र को देखकर समझ सकते हैं।
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नील नदी की उपजाऊ भूमि
सबसे प्रमुख चीज़, जो नील नदी प्राचीन मिस्र के लोगों को उपलब्ध करवाती थी, वो है – ऊपजाऊ भूमि। ज्यादातर मिस्र रेतीला है पर नील नदी के आसपास के क्षेत्र बहुत उपजाऊ है जिस पर कई तरह की फसलें उगाई जा सकती है। गेहूं, पटसन और कागज़ का पौधा पेपिरस (Papyrus) यहां की मुख्य फसलें है।
गेहुं – मिस्र के लोगों का मुख्य भोजन गेहुं है जिससे वो रोटी बनाते हैं। इसके सिवाए वो इसे दूसरे देशों को बेचकर पैसा भी कमाते हैं।
पटसन – पटसन से मिस्र के लोग कपड़े और बोरियां बनाते है।
पेपिरस – पेपिरस पौधा नील नदी के किनारों पर उगाया जाता है। प्राचीन मिस्र के लोग इस पौधे की मदद से कागज़, टोकरियां, रस्सियों समेत कई चीज़ें बनाया करते थे।
बाढ़
हर साल सितंबर महीने में नील नदी का जल स्तर बढ़ जाता है जिस वजह से आस-पास के इलाकों बाढ़ आ जाती है। भले ही शुरू में यह बाढ़ कुछ नुकसान करती है, पर इसकी वजह से काली उपजाऊ मिट्टी की नई परत बिछ जाती है जो फसलों की पैदावार को काफी बढ़ा देती है। प्राचीन मिस्र के लोग बाढ़ से आई इस मिट्टी को ‘नील नदी का तोहफा‘ कहते थे।
वर्तमान समय में नील नदी की बाढ़ से बचने के लिए असवान डैम(Aswan Dam) का निर्माण किया गया है जिसे 1960 से 1970 के बीच बनाया गया था।
मिस्र के लोगों ने अपना कैलंडर भी नील नदी के हिसाब से बनाया हुआ था। उन्होंने कैलंडर को तीन मौसमों में बांटा हुआ था जिसका पहला मौसम नील नदी की बाढ़ के समय तक रहता था, दूसरा जब फसलें उगाने का समय हो और तीसरा जब फसलें काटने का समय हो।
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इमारतें बनाने का समान
नील नदी प्राचीन मिस्र के लोगों को घर और इमारतें बनाने के लिए भी काफी सामग्री उपलब्ध करवाती थी। नीद नदी की गीली मिट्टी से वो लोग ईटें बनाते थे। इसके सिवाए नदी के किनारों पर स्थित पहाड़ियो से वो चूना – पत्थर और बलुआ पत्थर भी प्राप्त करते थे जिससे घर बनाए जाते थे।
परिवहन – Transportation
मिस्र समेत अफ्रीका के कई प्राचीन और आधुनिक शहर नील नदी के किनारे पर बसे हुए है जिसकी वजह से नदी को परिवहन के तौर पर इस्तेमाल किया जाता रहा है। छोटी – बड़ी boats लगातार इस नदी के जरिए लोगों और सामान की ढुआई करती रहती हैं।
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